बेटी वर्ल्ड कप में भारत की कप्तान और मां-बाप दिहाड़ी पर मजदूरी कर रहे

खेल संवाददाता द्वारा
गुमला. गुमला जिला इन दिनों सुर्खियों में है. दरअसल फीफा यानी फुटबॉल के अंडर 17 महिला वर्ल्ड कप में भारतीय महिला टीम का नेतृत्व गुमला जिले की बिशुनपुर प्रखंड की सुदरवर्ती गांव की बेटी अष्टम उराँव कर रही हैं लेकिन अष्टम के घर पर न तो मैच देखने के लिए टीवी था और न ही उनके घर तक पहुंचने के लिए रास्ता. इस बात की खबर मीडिया के माध्यम से जैसे ही प्रशासन को मिली तो सबसे पहले कप्तान के घर पर टीवी लगवाया गया अब उसके घर तक जाने के लिए रास्ता बनाया जा रहा है.
खास बात ये है जिस रास्ते को अष्टम उरांव के लिये बनाया जा रहा है उसी के निर्माण में अष्टम के माता-पिता दोनों लगे हैं. दोनों सड़क पर मजदूरी करते मिले. जिस सड़क का निर्माण जिला प्रशासन करवा रहा है उसमें दिन भर की मजदूरी के बदले दोनों को ढाई-ढाई सौ रुपए मिलते हैं. यह सड़क गुमला जिले के बिशनपुर प्रखंड के बनारी गोर्राटोली गांव में बन रही है जिसका निर्माण अष्टम उरांव के घर तक होना है.
दरअसल फुटबॉल महिला टीम की कप्तान का परिवार बदहाली का दंश झेल रहा है लेकिन बेटी गरीबी व साधनविहीन माहौल में संघर्ष कर आगे निकल कर आज भारतीय फुटबॉल टीम की कप्तानी सम्भाल रही है. अष्टम के पिता हीरा उराँव ने कहा कि मजदूरी नहीं करेंगे तो परिवार का पेट भला कैसे भरेगा. अष्टम की मां तारा देवी खुश है कि बेटी भारत की कप्तान बन गई है. वो बताती हैं कि अष्टम शुरू से ही जुझारू रही है. वह जिस काम को ठान लेती है उसे पूरे मन के साथ करती है. अष्टम के पिता हर साल बेंगलुरु कमाने के लिए जाते थे और अपने बच्चे को परवरिश करते थे और अच्छा शिक्षा देकर अष्टम को आज भारतीय टीम का कप्तान बना दिए.
अष्टम उरांव के कहने पर उसके पिता बेंगलुरु कमाने नहीं गए. बेंगलुरु का टिकट कैंसिल करके गांव में रोड निकला उसी में काम करने लगे. मां तारा ने कहा कि अपनी बेटी को गरीबी के कारण पानी भात और बोथा का साग खिलाकर बड़ा किया है. जब उनकी बेटी नौकरी करने लगेगी तो वह दिहाड़ी मजदूरी का काम छोड़ देंगी. इस मामले में जिला खेल पदाधिकारी कुमारी हेमलता बुन तथा प्रखण्ड विकास पदाधिकारी छन्दा भट्टाचार्य ने कहा कि अष्टम के सम्मान में जिला प्रशासन की ओर से उसके घर तक सड़क निर्माण का कार्य कराया जा रहा है.
उसके माता-पिता उसी सड़क के निर्माण में मजदूरी कर रहे हैं, इस सवाल के जवाब में अफसरों ने कहा कि कोई काम छोटा नहीं होता है. प्रशासन स्तर से आने वाले समय में अष्टम के सम्मान में स्टेडियम भी बनाया जाएगा. जिला प्रशासन सरकार की योजनाओं से अष्टम के माता-पिता को लाभ दिलवाएगा वहीं अष्टम को आवास योजना के तहत घर बना कर दिया जाएगा.

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